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नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 एडीशन 1 समझदारी( भाग 32)


                   शीर्षक :-समझदारी
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           यहां मत जाओ, वहां मत जाओ, इतनी देर क्यों कर दी! "उफ्फ" हर बात में रोक टोक, हर बात में नाराजगी इन बातौ से राघव परेशान होगया था।
 
              राघव ने  गुस्से से  एक दिन खाना छोड़, घर से बाहर एक पार्क की तरफ चला गया। मम्मी के लगातार फोन से परेशान होकर, उसने  अपना मोबाइल फोन ही स्विच ऑफ कर दिया।

           वह  पार्क के गेट से लगे एक बेंच पर बैठने ही वाला था कि इस ठंड भरी रात में नज़र एक शख्स की तरफ गई। जो एक पतली सी चादर ओढ़े, बिल्कुल अकेला एक बैग लिए बैठा था। कुछ किताबें खोल, उस बेंच से लगे लाइट के नीचे,वो किताबों में नज़रें गढ़ाए हुए पढ़ रहा  था।

              राघव ने सोचा   शायद  यह भी मेरी ही तरह गुस्से में घर से भागकर  आया होगा । उसने  अपनी जैकेट की चेन बंद कर पॉकेट में हाथ डाला और वहीं पास में ही बैठ गया। रात के तकरीबन दस बज रहे  होंगे। 

            उन  दोनों के सिवा यहां कोई तीसरा नज़र नहीं आ रहा था। इसलिए राघव की  नज़र बार बार उसी पर जा रही थी। मगर उसने राघव को एक बार भी नहीं देखा।उसे देख ये महसूस हो रहा था कि शायद  उसे ठंड लग रही  होगी । 

             उत्सुकतावश राघव ने ही पूछ लिया ,"तुम भी..घरवालों से नाराज होकर यहाँ आये हो..?"

              उसने राघव  तरफ देखा..फिर कुछ सोचने लग गया।

               "मैं आप..ही से पूछ..रहा हूँ" " राघव ने दुबारा उससे पूछा।

           उसने पहली बार किताबों को छोड़ राघव की  तरफ देख कर कहा ,"नही भाई..मैं उनसे क्यूं नाराज होऊंगा,वो तो मुझसे  बहुत दूर बैठें  हैं"

          "तो इतनी..रात को यूं यहां क्या कर रहा है ?" राघव ने उससे पूछा।

                    उसने बड़ी उदास होकर कहा  ," मै यहाँ जिस कमरे में रहता था,उन्होंने अचानक वो कमरा खाली करा लिया, उनकी कोई दूर की रिश्तेदार आईं हैं, अब वहीं रहेंगी। एक दूसरे  कमरे की बात हुई है, पर वह  परसों से मिलेगा ।कोई होटल ले नहीं सकता क्यौकि इतने  पैसे नहीं है मेरे पास  ?"

             उसकी बातें खत्म भी नहीं हुई कि उसके मोबाइल पर किसी का कॉल आ गया।
 
               "हेल्लो माँ  हाँ मैने खाना खा लिया..अभी..अभी खाया माँ.. हां माँ ठीक से हूँ  पापा को बोलना..वो मेरे पैसे के लिए परेशान नहीं होंगे.मैं मैनेज कर लूंगा..नहीं माँ उतनी ठंड नहीं है यहां.. हां माँ मिल जाएगा माँ आप अपना व पापा का खयाल रखना। मै बिल्कुल ठीक हूँ। "  इतना कहकर उसने फौन काट दिया।


         फोन  पर बात करते हुए  उसकी आँखें भीग आईं थीं, उसे देख  राघव का मन  आत्मग्लानि से भर  गया  उसने अपने फोन को तुरंत ऑन किया।  उसकी मम्मी का फोन अब भी आ रहा था।


              "हेल्लो, कहाँ है बेटे? कब से फोन कर रही हूँ...घर आ जा जल्दी क्यौकि तेरे पापा ने भी अभी तक खाना नहीं खाया है। "

              " अभी आ रहा हूँ..मम्मी, अच्छा सुनो..वो आगे वाला आपना कमरा खाली पडा़ है क्या वह दो दिन  के लिए किसी को मिल सकता है ?"  राघव ने अपनी मम्मी से पूछा।

            जब उसकी मम्मी ने पूछा वह कमरा किसे चाहिए तब राघव ने पूरी बात अपनी मम्मी को बतादी। और उसको अपने घर लेआया। दो दिन तक वह वहाँ रहा राघव ने उसको अपना जिगरी दोस्त बना लिया

     उसकी मम्मी उसकी यह बातें  देखखर  अपने पति से बोली ," सुनते हो अपना रघू अब समझदार होगया है। वह किसी का दुःख दर्द समझने लगा है।

उन्होंने भी हाँ में अपना सिर हिला दिया और दोनों हसने लगे।

नान स्टाप राइटिंग चेलैन्ज के लिए रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "

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1 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 06:55 PM

👏👌

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